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Monday, March 7, 2016

"ख़याली पुलाव" - घमंड

घमंड

ए जरा इधर भी एक लहर मार...’ बल्ब, ट्यूबलाइट, एलइडी  म्यूजियम के एक कोने की अलमारी में रखे दिये और लालटेन को बड़ी देर से छेड़े जा रहे थे | लालटेन तो अपनी प्रकृति की तरह शांत बनी रही लेकिन हिलोरें मारते रहने वाले दिये से रहा नहीं गया |  
दिया : बल्ब जी, क्या बात है ? आप हम दोनों को इतनी देर से क्यों परेशान किये जा रहे हैं ?

बल्ब : अरे जरा अपना मुंह तो देख, कैसा काला कर लिया है |

दिया : किसी को रोशनी देने में अपना मुंह काला भी हो गया तो क्या हुआ |

ट्यूबलाइट : अच्छा दिये ये बता तू हमेशा लहराता क्यों रहता है ?

दिया : आप भी तो जलने से पहले पच्चीस बार झटके मारते हो |

ट्यूबलाइट : (गुस्से में) ऐ दिये जबान संभाल के ! एक फूंक में ठंढे पड़ जाते हो और मुझे ऑंखें दिखा रहे हो |

अब तक शांति का कवच ओढ़े लालटेन से न रहा गया | उसका गुस्सा भी फूट पड़ा |

लालटेन – ट्यूबलाइट जी, मेरे पिता जी पर गुस्सा मत दिखाइए | मैं शांत हूँ इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप कुछ भी बोलें | किस फूंक की बात करते हैं आप ? अरे हम तो फूंक से बुझते हैं तुम सब को तो बुझाने के लिये एक अंगुली ही काफी है | छोटा बच्चा भी बुझा दे | और बल्ब बेटा तुम तो न ही बोलो |  जब तब फ्यूज होते रहते हो |

बल्ब : बड़ा गुस्सा आ रहा है तुझे | जब दोनों जल-जल के पूरा घर काला कर देते हो तब गुस्सा नहीं आता | हम लोगों को देखो बिना किसी धुंए के कैसे पूरा घर जगमगा देते हैं |

लालटेन : हमारे अन्दर कुछ कमियां जरूर हो सकती हैं लेकिन भाइयों हम दोनों बाप-बेटे कुछ ऐसा कर सकते हैं जो तुम सब मिल कर भी नहीं कर सकते |

तीनों : (व्यंगात्मक आश्चर्य के साथ) अच्छा ! वो क्या है जरा हम भी तो देखें |

लालटेन : हम दोनों किसी दूसरे दिये या लालटेन को जला सकते हैं | है तुममें से कोई ऐसा जो दूसरे बल्ब, ट्यूबलाइट या एलइडी को जला सके |

एलइडी : जरा खुद को देख ! कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली | जमीन आसमान का अंतर है तुझमें और हम लोगों में |

लालटेन : हां भाई अंतर तो है | आप लोग मॉडर्न जो हो गये हैं | भाषा को ही ले लो | आप तू – तड़ाक से ऊपर आने को तैयार नहीं और हमसे शालीनता का चोला नहीं उतारा जा रहा |

ट्यूबलाइट : धुआं निकाल निकाल के लोगों को रुलाने वाले और जम के तेल पीने वाले शालीनता की बातें करते हैं ? वाह !

लालटेन : इसके लिये आप सब लोग धन्यवाद के पात्र हैं | लेकिन ऊर्जा की खपत तो आप सब भी करते हैं | घरों के बिजली का बिल आप भी बढ़ाते हैं | हाँ कोई कम तो कोई ज्यादा | मैं तो चाहता हूँ कोई ऐसा साधन आ जाये जो न तो ऊर्जा की खपत करे और न ही बिल बढ़ाये | लेकिन तब आप सब भी मेरी तरह कोने में पड़े यहाँ की शोभा बढ़ा रहे होंगे |

एलइडी : ऐ गुजरे ज़माने की बेकार चीजें ! अपनी औकात देख | अगर हमसे जबान लड़ाई तो तुझे इस म्यूजियम से भी उठाकर बाहर कर देंगे |

दिया : (मुस्कुरा कर बल्ब और ट्यूबलाइट की ओर देखते हुए) देखना कल को ये तुम्हे भी ऐसे ही कहेगा |

बल्ब : अच्छा, तुम मेरे परिवार में दरार पैदा करना चाहते हो |

दिया : (भावुक होते हुए) वो तो पैदा हो चुकी है | तुम लोगों को क्या लगता है , कहीं आसमान से टपके हो ! तुम लोगों ने तो अपनी जड़ों को भी भुला दिया | हम सब का एक ही काम तो है रोशनी बिखेरना | हो सकता है हमारा अंदाज अलग हो लेकिन मूल उद्देश्य आज भी वही है | तुम सब के निर्माण के पीछे कहीं न कहीं हमारी प्रेरणा है | हम बुजुर्ग हो गये तो लोगों ने हमें अपने घरों से निकाल दिया | लेकिन हमें इसका दुःख नहीं | दुःख तो इस बात का है कि हमारे ही खून ने हमें पहचानने से इनकार कर दिया | अरे मूर्खों ! तुम सब तो हमारी ही नयी पीढ़ी हो | हमें गर्व है तुम सब पर | लेकिन हमारी खिल्ली उड़ाकर तुम लोगों ने हमारा दिल तोड़ दिया |

बल्ब : (आँखों में आंसू लिये) दादा जी हमें माफ़ कर दीजिये | नयी तकनीक और समय ने हमारे अन्दर इतना घमण्ड भर दिया कि हम अपनी ही जड़ें काटने चले थे | पेड़ कितना ही विशाल क्यों न हो जाये उसे अपनी जड़ों को हमेशा ही सहेज कर रखना पड़ता है | हमें माफ़ कर दीजिये | आपने हमारी ऑंखें खोल दीं |
दिया : हमें तुम लोगों से कभी कोई शिकायत नहीं है | आओ गले मिलें और मिल कर अपने परिवार का नाम रोशन करें |

अब दिया, लालटेन, बल्ब, ट्यूबलाइट और एलइडी सब मुस्कुराते हुए गर्व के साथ उस म्यूजियम को रोशन कर कर रहे थे |

  Khayali Pulao By : Nitendra Verma  
  Date: March 06, 2016 Sunday

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