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Thursday, May 25, 2017

कविता - "प्रीत की प्यारी"



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अंकुर पटेल 
अंकुर पटेल की लिखी कविता "प्रीत की प्यारी"...पढ़ें...पसंद आये तो कमेंट व शेयर जरुर करें...







प्रीत की प्यारी

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प्रीत की प्यारी हो तुम
मधुबन की दासी बनके मत रह जाना।
हो प्यार हमसे
किसी और की बनके मत रह जाना।
यूँ तो गीत बहुत लिखे है तेरे लिए,
उन्हें आवाज़ देते मत रह जाना।
हर लम्हे ने जोड़ा है तुझे मुझसे,
उन्हें बस अपनी बाहों में समेटे मत रह जाना ।
इजहार हो कुछ इस तरह का,
बस ऐसी किताब बनके मत रह जाना।
दिल की धड़कन तुझे पुकारें बस इसी तरह,
कुछ ऐसी तक़दीर लेके मत रह जाना।
गुजरूँगा एक दिन तेरी आँखों से,कुछ अहसास और अरमान लेकर,
बस उन्हें अपना नाम देते मत रह जाना।
प्रीत की प्यारी हो तुम
मधुबन की दासी बनके मत रह जाना।
                                            ©अंकुर पटेल


- "अंकुर पटेल"
Student, B.Sc. (H), Physics,
Deen Dayal Upadhyaya Colege, Delhi


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