Ankur Patel |
"संध्या-काल"
किये संकुचित अखण्ड रश्मियाँ
रवि चले
पश्चिम की ओर ।रवि ने उठाया डेरा जब
तुमुल तम की आ गयी डोलियाँ ।
नभ-शासक बना शशि तब
सज गयीं ताराओं की लड़ियां ।
झींगुर ने झनकार मचायी
पर दयनीय हुयी कलियाँ |
बिछड़ गये चकवी-चकवा
आयी उनके शोक की घड़ियाँ ।
अटल प्रकृति भी हो गयी स्तब्ध
सूनी हो गयी सारी गलियां ।
कुछ तो हुए अति प्रमुदित
किसी की आयी शोक की घड़ियाँ ।
रवि चले पश्चिम की ओर
किये संकुचित अखण्ड रश्मियाँ ।
-- "अंकुर पटेल"
Student, B.Sc. (H),
Physics,
Deen Dayal
Upadhyaya College, Delhi
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Ankur@👏👏👏👏👏
ReplyDeleteNice Poem ankur.....👌👌👌
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