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Sunday, September 25, 2016

लेख - चुप्पी! आखिर कब तक ?

चुप्पी! आखिर कब तक?

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 सितम्बर को हुए उड़ी हमले के बाद दोनों देशों में एक बार फिर गरमा गरमी का माहौल है | इस हमले में हमारे अठारह जवान शहीद हो गये | भारत की तमाम कूटनीतिक कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है | इस हमले के बाद यह कहना गलत न होगा कि पाकिस्तान को समझने में हम कूटनीतिक व रणनीतिक रूप से बुरी तरह विफल ही रहे हैं | यह एक त्रासदी ही है कि हमारे ऊपर हमले दर हमले होते रहते हैं और हम हर बार हमलों की निंदा भर्त्सना तक ही सीमित रह जाते हैं | पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने की बात करते हैं | आतंकवादियों के कुकृत्य को कायराना बता कर, शहीदों की मौत पर आंसू बहाकर और मुआवजा देकर सरकारें अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती हैं | अव्वल तो इस तरह के हमले कायराता न होकर दुस्साहस का प्रतीक हैं | दूसरे केवल आँसू बहाने या मुआवजा देने भर से हालात सुधरने वाले नहीं हैं |

इस तरह के हमलों के बाद अक्सर भारत की ओर से पाकिस्तान की कड़ी निंदा की जाती है | उसके
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भारत - पाक तनाव 
खिलाफ़ तमाम तरह की कार्यवाई की बातें की जाती हैं | लेकिन कुछ दिन बाद ही हैरतअंगेज तरीके से हम फिर पाकिस्तान से बातचीत के लिये उतावले नजर आने लगते हैं | यही हाल अमेरिका सहित विश्व के तमाम देशों का है | हमलों के बाद ये देश एक सुर में पाकिस्तान की निंदा करते हैं | पाकिस्तान को अपनी जमीन का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिये न करने की चेतावनी देते है और ऐसा न करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी देते हैं | लेकिन पाक ऐसी घुड़कियों पर कभी अपने कान नहीं धरता | हां अमेरिका जैसा देश जब ऐसी बातें करता है तो एक बात तो जगजाहिर हो जाती है कि उसे इस बात की पूरी जानकारी है कि पाक की जमीन पर आतंकवादी पल रहे हैं | यह जानते हुए भी वह समय समय पर पाकिस्तान को धन उपलब्ध कराने से गुरेज नहीं करता | क्या इसलिये कि वह इस धन का प्रयोग भारत के खिलाफ़ आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने में कर सके ?

भारत को अब समझ जाना चाहिए कि इस मामले में अमेरिका की रूचि भारत की मदद करने में कतई नहीं है | तभी वह केवल गीदड़ भभकियों से काम चलाता है | भारत को भी अपनी पाक नीति में परिवर्तन लाने की जरुरत है | ज्यादा दिन नहीं हुए पठानकोट हमला हुए | तब भी भारत की तरफ से खूब गर्जन तर्जन किया गया था | हमले के बाद केन्द्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर का बयान आया था कि जल्द ही कुछ बड़ा करेंगे | भारत ने तो कुछ बड़ा किया नहीं हां पाक ने पठानकोट से बड़ा हमला जरूर कर दिया | गौर फरमाएं कि उस हमले के बाद भी हम पाकिस्तान पर भरोसा करते रहे | इसी के तहत हमने न केवल सारे सबूत उसे सौप दिये बल्कि उसकी जाँच एजेन्सी को भी अपने यहाँ आने दिया | उस समय तक हमारे गृहमंत्री राजनाथ सिंह यही कहते रहे कि पाकिस्तान ने जाँच में पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाया है इसलिए उस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है | यह बात और है कि जाँच एजेन्सी ने वापस अपने देश जाते ही रंग दिखा दिया और सबूत नाकाफ़ी बताकर भारत की फिर से ढेंगा दिखा दिया |  

उड़ी हमलों के बाद एक बार फिर से भारत सहित दुनिया भर के देश पाकिस्तान की लानत मलानत में जुटे हैं | यह बात और है कि अभी तक किसी भी देश ने उसके खिलाफ़ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है | स्वयं भारत की ओर से भी अभी तक सिर्फ बयानबाजी ही अधिक हो रही है | भारत को यह समझने की जरुरत है कि पाकिस्तान ऐसी कोरी बयानबाजियों से समझने वाला नहीं है | संयम एक बेहतरीन गुण है लेकिन हमें एक रेखा तय करनी होगी क्योंकि हद से ज्यादा संयम भी कायरता की निशानी मानी जाती है | पकिस्तान शायद यह समझ चुका है कि हम बयानबाजी से आगे नहीं बढ़ सकते और हमारी इसी कमजोरी का फायदा वो बार बार उठाता है |

भारत पठानकोट हमले को शायद भुला चुका है तभी तो अब कोई उस हमले की बात नहीं करता | कोई बता सकता है कि उसकी जाँच कहाँ तक पहुंची ? मोदी जी दम भर रहे हैं कि उड़ी हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा | क्या कोई देश को बतायेगा कि पठानकोट हमले के दोषियों के खिलाफ़ क्या कार्यवाई हुई ? आखिर पाकिस्तान से इसका जवाब क्यों नहीं माँगा जाता ?

यह तथ्य है कि घाटी में भी हालात दिन ब दिन ख़राब होते जा रहे हैं | महीनों से कर्फ्यू में जकड़ा कश्मीर कराह रहा है | फौजों को भी शायद ऐसे दिन कभी न देखने पड़े हों | आज सेना पर वहां की जनता पत्थर बरसा रही है | महिलायें भद्दे नारे लगा रही हैं | कुछ मुट्ठी भर लोगों ने पूरे राज्य को अपंग बना रखा है | केंद्र ने हालात सुधारने के लिये कुछ सख्त कदम उठाने के संकेत भी दिये थे | जिसमे अलगाववादियों की फंडिंग बंद करने का मुद्दा भी प्रमुख था | काबिलेगौर है जो नेता रहते और खाते तो भारत में हों लेकिन गुणगान पाकिस्तान के गाते हों उनके रहने, खाने, घूमने और चिकित्सा तक का खर्च सरकार देती है | इन नेताओं पर सरकार सालाना करोड़ों रूपये खर्च करती है | यह सब जानने समझने के बावजूद फंडिंग बंद करने का प्रस्ताव न जाने क्यों सरकार ने ठंढे बस्ते में डाल दिया | 
   
देश की जनता बेहद आक्रोश में है | लेकिन यह भी सत्य है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता | हमें अन्य विकल्प खोजने पड़ेंगे | सबसे महत्वपूर्ण है पाक को विश्व समुदाय से अलग थलग करना | हमें विश्वस्तर पर यह समझाने की आवश्यकता है कि ऐसे देशों का साथ किसी के भी हित में नहीं है | साथ ही उन्हें आश्वस्त करने की जरूरत है कि पाक कोरी बयानबाजियों से डरने वाला नहीं है | उसके खिलाफ़ सख्त कार्यवाई की नितांत आवश्यकता है | हमें स्वयं भी अन्य विकल्प खोजने होंगे | इन पर विचार भी हो रहा है | हाल ही में यह विचार उठा कि क्यों न पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर दिया जाये | लेकिन पता चला कि अभी तक हमारे देश में किसी अन्य देश को आतंकवादी घोषित करने की कोई नीति ही नहीं है | सिन्धु नदी समझौता तोड़ने की भी बात हो रही है | ऐसे ही अन्य विकल्पों पर विचार करने व उन पर अमल करने की सख्त जरुरत है |

भारत को अपनी सीमा को भी अभेध्य बनाना होगा | पठानकोट हो या उड़ी दोनों ही हमलों में सुरक्षा में चूक हुई है | यह बात रक्षा मंत्री भी स्वीकार चुके हैं | समय समय पर लेज़र व अन्य आधुनिक तकनीक से सीमा को लैस करने की ख़बरें आती रहती हैं लेकिन अफ़सोस कि ये महज़ खबरें ही बनकर रह जाती हैं |

केरल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को आईना दिखाकर अच्छा ही किया | उन्होंने न केवल पाक को खुली चुनौती दी बल्कि वहां की आवाम को भी संबोधित किया | उनका यह सवाल कि भारत दुनिया भर में सॉफ्टवेयर निर्यात करता है और पाक आतंकवाद, जरूर वहां की जनता को उद्वेलित करेगा | यह अच्छा ही रहा कि प्रधानमंत्री ने देश की मंशा और गुस्से को भांपते हुए पाक को कड़ा संदेश दे दिया | और अच्छा हो यदि इसे करनी में भी तब्दील कर दिया जाये |  

उड़ी हमले के बाद सरकार को चेत जाना चाहिए और पाक से दोस्ती की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए वरना ऐसे हमले होते रहेंगे और हमारे जवान शहीद होते रहेंगे | सरकार को अपनी चुप्पी तोड़कर इस बार पाकिस्तान के खिलाफ़ सख्त कार्यवाई करनी ही चाहिए | देश युद्ध तो नहीं लेकिन सरकार से अन्य विकल्पों के जरिये कम से कम ऐसी कार्यवाई की उम्मीद कर रहा है जिससे पाकिस्तान की कमर टूट जाये और वह घुटनों के बल आ जाये | शायद यही शहीदों को सच्ची श्रद्धाजंली होगी |



---- नितेन्द्र वर्मा

2 comments:

  1. बहुत ही सही विश्लेषण|

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  2. जबरजस्त लेख ....😊😊

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