शायरियां
शायर :
योगेश कुमार
“शायरी हर किसी के
जीवन का हिस्सा होती हैं | हर मौके के लिये होती हैं शायरियां | पेश हैं कुछ ऐसी
ही शायरियां प्रतिभावान शायर योगेश कुमार की कलम से ...
तुम्हारा तो गुस्सा
भी इतना # प्यारा है...
कि
दिल करता है...
दिन भर तुम्हे # तंग करते रहे..
कि
दिल करता है...
दिन भर तुम्हे # तंग करते रहे..
कमा के इतनी दोलत भी मैं अपनी # माँ को दे ना पाया,
°°
के जितने सिक्कों से #माँ मेरी नज़र उतारा करती थी...!!
°°
के जितने सिक्कों से #माँ मेरी नज़र उतारा करती थी...!!
काश ये बात लोग समझ जाये की..
°°
रिश्ते एक दूसरे का "ख्याल" रखने के लिऎ बनाये जाते है, एक दूसरे का इस्तेमाल करने के लिए नहीं...
°°
रिश्ते एक दूसरे का "ख्याल" रखने के लिऎ बनाये जाते है, एक दूसरे का इस्तेमाल करने के लिए नहीं...
हमारी भी थी एक कहानी,
हमारी भी थी एक हस्ती पुरानी,,
कँन्धे पे था दोस्तो का हाथ,
सारा जमाना जीत लेते ऐसा था यारोँ का साथ,,
साथ बैठकर करते थे मस्ती,
जब समोसा था 2रु और चाय थी सस्ती,,
दोस्तो के लिये किया बचपन कुरबान,
आज वो बन बैठे इस धडकन की जान,,
छोटी-से-छोटी बातोँ को दिल से लगाया,
फिर भी जाते-जाते कमीनो ने खुब हसायाँ,,
पढाई का तो सिर्फ एक बहाना था,
स्कूल मेँ दोस्तो से मिलने जाना था,,
मरने से पहले दोस्तो एक वादा निभाना,,
मेरी कब्र पर आकर कहना........
"यार" ऊठ कल मुवीज देखने टाईम पर आना.
( (e-mail द्वारा प्राप्त | यदि आपके पास भी है कुछ ऐसा तो भेज दें ई-मेल id: nitendraverma@gmail.com पर )
हमारी भी थी एक हस्ती पुरानी,,
कँन्धे पे था दोस्तो का हाथ,
सारा जमाना जीत लेते ऐसा था यारोँ का साथ,,
साथ बैठकर करते थे मस्ती,
जब समोसा था 2रु और चाय थी सस्ती,,
दोस्तो के लिये किया बचपन कुरबान,
आज वो बन बैठे इस धडकन की जान,,
छोटी-से-छोटी बातोँ को दिल से लगाया,
फिर भी जाते-जाते कमीनो ने खुब हसायाँ,,
पढाई का तो सिर्फ एक बहाना था,
स्कूल मेँ दोस्तो से मिलने जाना था,,
मरने से पहले दोस्तो एक वादा निभाना,,
मेरी कब्र पर आकर कहना........
"यार" ऊठ कल मुवीज देखने टाईम पर आना.
( (e-mail द्वारा प्राप्त | यदि आपके पास भी है कुछ ऐसा तो भेज दें ई-मेल id: nitendraverma@gmail.com पर )
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