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Saturday, April 9, 2016

सफलता की कहानी

विषम परिस्थितियों से जूझना और विजेता बन कर उनसे बाहर निकलना आसान काम नहीं है | जो ऐसा करते हैं वही  होते हैं असली हीरो | ऐसे लोग बन सकते हैं तमाम लोगों के लिये प्रेरणा स्रोत | इनको कहीं ढूंढने जाने की जरुरत नहीं होती | ये हमें हमारे आसपास ही मिल जाते हैं...हमारे दोस्त, गुरु, पड़ोसी या किसी और रूप में | यहाँ पर हम ऐसे ही लोगों की सफलताओं की कहानी रखेंगे आपके सामने |
इस सीरीज के पहले अंक में प्रस्तुत है एक ऐसे ही विजेता PayTM संस्थापक विजय शेखर शर्मा की | तो चलिए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी...

सफलता की कहानी

 
विजय शेखर शर्मा 
लीगढ़ के निम्न मध्य वर्गीय परिवार में पले बढ़े, अंग्रेजी में कच्चे विजय स्कूल में टॉपर हुआ करते थे | बचपन अभावों में बीता | पिता एक स्कूल अध्यापक थे और माता जी गृहणी | दो बहनों और दो भाइयों को मिलाकर पांच जनों के परिवार में पिताजी एकमात्र कमाऊ सदस्य थे | पूत के पांव पलने में ही दिख जाते हैं | मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होने अपने स्कूल की पढ़ाई ख़त्म कर ली थी | मात्र 15 साल की उम्र में दिल्ली के
एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया था |

स्कूल के दिनों में विजय टॉपर हुआ करते थे | लेकिन कॉलेज में आते ही समस्याएं शुरू हो गयीं | अलीगढ़ जैसे शहर से दिल्ली में आकर रहना उनके लिये आसान नहीं रहा | अव्वल तो अंग्रेजी में हाथ तंग और दूसरा दिल्ली जैसा बड़ा शहर, शुरुआत में उन्होंने काफी समस्याओं का सामना किया | कॉलेज ज्वाइन करते समय उनका कोई बड़ा सपना नहीं था | बस वह चाहते थे कि किसी तरह कोर्स ख़त्म कर लें और दस हजार तक की कोई नौकरी कर लें | उस समय वह इससे ज्यादा कुछ नहीं सोच रहे थे |

कॉलेज की शुरुआत में वो स्कूल की ही तरह आगे की बेंच पर बैठे | लेकिन जल्दी वह सबसे पीछे की बेंच पर पहुँच गये | वजह थी टीचर का अंग्रेजी में प्रश्न पूछना | टीचर हमेशा अंग्रेजी में प्रश्न पूछते और हर बार प्रश्न उनके सिर के ऊपर से निकल जाता | अक्सर क्लास में सहपाठियों के उपहास का भी पात्र बनना पड़ता | उस समय वह कॉलेज के हॉस्टल में रहा करते थे | हॉस्टल के मित्रों ने उनकी बहुत मदद की | उन्होंने उनका आत्मविश्वास तो बढ़ाया ही, क्लास में भी पिछड़ने नहीं दिया | अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिये समाचार पत्र और तमाम मैगजीनें पढ़ते रहते थे | उन्हीं दिनों उन्होंने एक मैगेजीन में सिलिकॉन वैली के बारे में पढ़ा | वो  इससे खासे प्रभावित हुए | अब वह अपना खूब समय कॉलेज के कंप्यूटर सेंटर में बिताने लगे | वो एक और सबीर भाटिया बनने के ख़्वाब देखने लगे | उस समय उन्हें महसूस हुआ कि कोई नौकरी करने के बजाय खुद का कोई काम करना बेहतर होगा |   

उन्हें भरोसा था कि वो इन्टरनेट की सहायता से अपनी एक कंपनी बना सकते हैं | उस समय यानि 1990 के आसपास इन्टरनेट के प्रयोग में खासी तेजी आ चुकी थी | थर्ड इयर में ही अपने एक सहपाठी हरिन्दर ताखर के साथ मिलकर अपनी कम्पनी बना डाली | नाम रखा Xs! Corporation | यह एक वेब पोर्टल था जो वेब आधारित सेवाएं तो उपलब्ध कराता था ही साथ ही सर्च इंजन भी था | अपना कॉलेज 1998 में ख़त्म करने वाले विजय ने 1999 में अपनी कंपनी को LIVING Media India(वर्तमान में India Today Group) को बेच दिया | उस समय उनकी कंपनी का टर्न ओवर 50 लाख रु था |

इस सौदे से मिले पैसों से सबसे पहले उन्होंने एक टीवी ख़रीदा | उस समय तक उनके घर में कोई टीवी नहीं था | माँ के लिये कुछ साड़ियाँ खरीदीं | पिताजी ने बहनों की शादी के लिये जो कर्ज ले रखा था उसे चुकाया | कुछ पैसा बचा भी लिया | उनके घर वाले नहीं समझते थे कि वो क्या करते हैं लेकिन उन्हें विजय के ऊपर बड़ा गर्व था |

अपनी कंपनी बेचने के बाद उन्होंने कुछ दिन नौकरी भी की लेकिन जल्दी ही बोर हो गये | उनके पास 2 लाख रु थे | अपने एक सहकर्मी राजीव शुक्ला के साथ मिलकर मोबाइल की value added service प्रदाता कंपनी One97 Communications Ltd की स्थापना की |  लेकिन उसी समय 9/11 हादसा हो गया और उनका  बिज़नेस तबाह हो गया | उनके पार्टनर साथ छोड़ गये | सारे पैसे भी खर्च हो चुके थे | उन्होंने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करना शुरू कर दिया | कई कई बार पूरा दिन दो कप चाय पर गुजारना पड़ा | पिताजी ने कोई नौकरी करने को कहा | उस समय वो 25 वर्ष के थे तब उनका परिवार चाहता था कि वो अपना घर बसा लें | ऐसे में उन्होंने एक कंसलटेंट की नौकरी कर ली | लगभग उसी समय देश में स्मार्ट फोन खासे प्रयोग में आने लगे थे | उन्होंने सोचा क्यों न इसी के जरिये कुछ ऐसा किया जाये जो लोगों की जिन्दगी को बदल डाले |

तब उन्होंने नींव रखी मोबाइल वॉलेट PayTM की | जिसे स्मार्टफोन के जरिये प्रयोग किया जा सकता है | आज यह कंपनी सिर्फ मोबाइल वॉलेट की सुविधा ही प्रदान नहीं करती बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में उतर चुकी है | इतना ही नहीं हाल ही में इसे ‘पेमेंट बैंक’ का लाइसेंस भी हासिल हुआ है |  Bungee jumping, sky diving, river rafting के दीवाने विजय शेखर को गति पसंद है | वह जीवन को तेज रफ़्तार में जीना पसंद करते हैं | वह कहते हैं कि हर कोई अपना बेस्ट करना चाहता है और कुछ लोग करते भी हैं लेकिन आखिर में गति ही वो चीज है जो अंतर पैदा करती है |   


(Reference: www.wikipedia.org, https://paytm.com/blog)


  

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