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Tuesday, November 24, 2015

"ख़याली पुलाव" -एक मुलाकात शानू दा के साथ

एक मुलाकात शानू दा के साथ

आज शहर के बड़े मैदान में मेरे फेवरेट सिंगर कुमार शानू का लाइव प्रोग्राम था | बड़ी जद्दोजहद के बाद मुझे टिकट मिल पाया था | लाइन में घंटों खड़े रहकर टिकट मिला था | वो गायक जिनके गाने सुन सुनकर मैं बड़ा हुआ, जिनके गाने मैं आज भी जब तब गुनगुनाता रहता हूँ, जिनसे सपनों में न जाने कितनी बार मिला हूँ, उनसे मिलने का सुनहरा मौका मैं जाने नहीं दे सकता था | मैं उनका दीवाना हूँ या यूँ कहें भक्त हूँ | प्रोग्राम शाम 7 बजे से था लेकिन मैं 5 बजे ही पहुँच गया था | मंहगा होने के बावजूद मैंने सबसे आगे वाली पंक्ति का टिकट लिया था |

स्टेज पर तमाम कलाकार अपनी परफार्मेंस दे रहे थे लेकिन जहाँ मेरी नजरें बेताब थीं अपने चहेते सिंगर को देखने के लिये वहीँ कान तड़प रहे थे उनकी लाइव आवाज सुनने के लिये | 8 बज चुके थे मेरी बेसब्री का पैमाना कुलबुला रहा था | तभी स्टेज से अनाउंस हुआ कि कुमार शानू जी आ चुके हैं | मेरी दिल की धड़कने फड़फड़ाने लगीं, पैर कांपने लगे | स्टेज के एंट्री गेट पर मैंने नजरें गड़ा दीं | थोड़ी ही देर में बैकग्राउंड में आवाज गूंजी – हे हे हे ...ओह माय गॉड !!! मैंने अपनी ऑंखें बंद कर लीं | लगा कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा | मैंने आँखें खोलीं – मेरे सामने खड़े थे नब्बे के दशक के लीजेंड कुमार शानू | पूरा मैदान उनके एक से बढ़कर एक गानों पर झूमता रहा | मैं तो निहाल ही हो गया | भगवान अगर मुझसे कुछ मांगने को कहे तो उसमें मेरी एक विश शानू दा से मुलाकात जरुर होगी | ये विश आज पूरी हो रही थी |   

उनका शो पूरा हो चुका था | दर्शक उठ कर बाहर जा रहे थे | मैं भी निकल ही रहा था कि तभी एक व्यक्ति मेरे पास आया और बोला शानू दा आपको बुला रहे हैं | मैं हैरान हो गया – शानू दा मुझे बुला रहे हैं ! सारे ख्वाहिशें आज ही पूरी हो जाएँगी क्या ? मैं तुरंत उसके पीछे हो लिया | एक कमरे में देखा कि शानू दा सोफे पर बैठे हैं | मुझे देखते ही बुलाया | मैंने उनके पैर छुए | उन्होंने मुझे सामने बिठाया फिर बोले मैं जानता हूँ कि तुम मेरे बहुत बड़े फैन हो | मैंने कहा सर कैसे ? बोले - सोशल मीडिया में जैसे तुम मुझे फॉलो करते हो शायद ही कोई और करता होगा | इसके बाद मैंने उनसे ढेर सारे सवाल पूछे | शानू दा ने बड़े प्यार से सबके जवाब दिए | मैं उनसे जितना बातें करता जा रहा था उतना ही और दीवाना होता जा रहा था | शानू दा गायकी के अपने पूरे सफ़र को अपनी जुबानी सुना रहे थे | मुझे अपनी किस्मत पर नाज हो रहा था | ये सब बताने के लिये उन्होंने मुझे चुना था |

मैंने शानू दा से एक रिक्वेस्ट की | ‘सर मैं आपको फिर से गाते हुए देखना चाहता हूँ | वो सुनहरा दौर वापस ले आईये सर |’ शानू दा मुस्कुराने लगे | हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि अचानक एक अजीब सी घंटी की आवाज परेशान करने लगी | मैंने बातें करते रहने की भरसक कोशिश की लेकिन उस घंटी के आगे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था, कमबख्त बंद ही नहीं हो रही थी | मेरे हाथों ने जल्दी जल्दी इधर उधर टटोल कर उस घंटी का स्रोत ढूंढा | ओह ! तो ये आवाज मोबाइल से आ रही थी |  व्यवधान ख़त्म करने के लिये जल्दी से कैंसिल का बटन दबाया | अलार्म बंद हो गया था | नींद खुल चुकी थी | शानू दा से मिलने का एक और सपना धराशायी हो चुका था |

----Love You Shanu Da---Wanna Meet You----

Khayali Pulao By : Nitendra Verma       Date: Nov 23, 2015 Monda








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