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Tuesday, July 29, 2014

"ख़याली पुलाव" - अथश्री डींगेंमार कथा

अथश्री डींगेंमार कथा  
      डींगे हांकने वाले हर जगह मिल जाते हैं | इनको कहीं ढूँढने नही जाना पड़ता | जरुरत हो या न हो ये हर जगह पहुँच ही जाते हैं | इनकी सूंघन शक्ति कमाल की होती है | इन्हें हम कुछ और नामों से जानते हैं जैसे फेंकने वाले या फेंकू , बतरंगना , हांकू आदि | अपने हर नाम को अपने कामों से पूरी तरह चरित्रार्थ करते हैं ये लोग | इनका जीवन बड़ा ही मजेदार और ज्ञानवर्धक होता है |
      डींगे हांकना किसी एक की आदत नहीं होती | हम सब इस खूबी के शिकार हैं | बस किसी के अन्दर ये कम होती है तो कुछ के अन्दर कूट कूट के भरी होती है | यह पोस्ट समर्पित है ऐसे ही लोगों को जिनके अन्दर डींगे हांकने की खूबी कूट कूट के भरी होती है | जरा इनकी कुछ खूबियों पर गौर फरमाएं | अव्वल तो ये हमेशा अपने बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं | जैसे फलां फलां लोगों से जान पहचान या फलां फलां जगह पहचान | लोकल विधायक या सांसद तो इनके लंगोटिया यार लगते हैं | आल इंडिया के इतने कोनों में इनका दखल होता है कि इंडिया का नक्शा भी शर्मा जाये | अगर आप इनके सामने दो मिनट भी खड़े हो गए तो ये ऐसा ज्ञान बांच देंगे कि आपको अपने ज्ञान पे शक होने लग जायेगा | इन लोगो के सामने बोलने का अधिकार देश का संविधान भी नहीं देता | हाँ अगर सुनने या झेलने की सामर्थ्य आपके अन्दर है तो ऐसे लोग आपके लिए ही हैं |
      ख़बरदार जो आपने इनके सामने अपना ज्ञान उलीचने की कोशिश भी की | मुंह की खानी पड़ेगी | इनके मुंह से निकला एक एक शब्द आई एस आई प्रमाणित होता है | कोई खुद को कितना भी तीस मार खां क्यूँ न समझे इनके सामने खड़ा ना हो पायेगा | लोगों को आकर्षित करने की जादुई शक्ति होती है इनके अन्दर | पार्टी या शादी – ब्याह में तो मुहमांगी मुराद मिल जाती है | क्यूंकि यहाँ श्रोता खोजने की जरुरत नहीं पड़ती | यहाँ तो बस छोड़ते रहिये लपेटने वाले तमाम मिल जायेंगे | मेरे हिसाब से तो ऐसे लोगों के बड़े बड़े कॉलेजों में गेस्ट लेक्चर्स होने चाहिए क्योंकि इनके पास हर सवाल का जवाब मौजूद रहता है | किसी के तर्क इनके सामने काम नहीं करते |
      किसी विद्वान ने कहा है कि अगर झूठ भी बोलना है तो सामने वाले की आँखों में ऑंखें डाल के बोलो | इस सूत्र वाक्य का प्रयोग इन डींगे मारने वालों से बेहतर कोई नहीं करता | लाख झूठ बोलेंगे लेकिन ऐसे आँखों में ऑंखें डाल के बोलेंगे कि सामने वाले की आंखे झुक जाएँ | बेधड़क बेख़ौफ़ | क्या हो अगर दो डींगेमार एक जगह मिल जाएँ फिर तो एक नया ही समां बंध जायेगा | इन लोगों के बीच एक बढ़िया कॉम्पटीशन भी आयोजित करवाया जा सकता है | आजकल वैसे भी टीवी चैनेलों में तरह तरह के कार्यक्रमों की बाढ़ आयी हुई है |  इन लोगों के टैलेंट को देश दुनिया के सामने लाने के लिए टी वी प्रोग्राम शुरू किया जा सकता है ‘कौन बनेगा सबसे बड़ा डींगेंबाज’ | यकीन जानिए जबरदस्त टी आर पी मिलेगी | डींगेबाजी एक कला है हुनर है हमें इस हुनर को मौका देना ही होगा | इससे लोगों का मुफ्त में मनोरंजन होता है | यदि आपका टाइम पास न हो रहा हो तो अपने किसी डींगेंबाज मित्र को पकड़ लीजिये समय कैसे गुजर जायेगा आपको पता भी नहीं चलेगा |
      कुछ लोग तो इसे साइंस मानते हैं | उनका कहना है कि जिस तरह स्कूलों में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान पढ़ाया जाता है उसी तरह डींगेमार विज्ञान भी पढ़ाया जाये | इस विज्ञान के गूढ़ जानकार तो ये भी कहते हैं कि इसे नोबल पुरस्कारों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए ताकि समाज में इन डींगेमारों को यथोचित स्थान व सम्मान मिल सके | अगर ऐसा होता तो आज तक न जाने कितने लोगों को यह पुरस्कार मिल चुका होता और हम उनकी जीवनियाँ पढ़ रहे होते |
शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जो इन हांकू लोगों से अछूता हो | राजनीति का तो आधार ही इन लोगों पर टिका है | इस कला के बलबूते तमाम लोग सालों से राज कर रहें हैं | फ़िल्मी जगत में तो हर कोई फेंकू ही लगता है | किसी भी हीरो या हिरोइन से पूछिये वह हमेशा उस निर्देशक , कलाकार को सबसे अलग , सबसे अच्छा बताएगा जिसके साथ उसकी नयी फिल्म आ रही है | इनकी माने तो इनकी कोई भी फिल्म कभी फ्लॉप नहीं होती | अगर गलती से कोई मान भी ले तो ये जोड़ना नहीं भूलते कि फिल्म भले ही न चली हो लेकिन मेरे काम की तारीफ सभी ने की | सरकारी से लेकर प्राइवेट दफ्तर तक फेंकूओं से भरे पड़े हैं | हाँ सरकारी दफ्तरों में इनकी संख्या कुछ ज्यादा रहती है | वैसे भी आजकल मोदी सरकार ने कामकाज पे जोर दे रखा है तो दफ्तरों में जिनके पास कोई काम नहीं है वो बातें रंगने का काम कर रहे हैं | आखिर ये भी काम है और इसमें तो दिमाग भी लगता है |
डींगे हांकने वाले दुकानों में सेल्समेन के रूप में बहुतायत में पाए जाते हैं | अगर आप अपनी श्रीमती जी के साथ कपड़ों की शौपिंग करने गए हैं तो ये लोग पूरा बालीवुड आपके सामने खड़ा कर देंगे | ये साड़ी अमुक फिल्म में करीना कपूर ने पहनी है, ये सूट फलां टीवी सीरियल में फलां ने पहना था | ऐसा लगता है पूरा बॉलीवुड इन्ही की दुकान से चलता है | भले ही मालूम हो या न हो लेकिन हांकना जरुरी है | ऐसे ही मेरे एक मित्र अपनी श्रीमती जी के साथ साड़ी खरीदने गए | साड़ी दिखाने वाले सेल्समेन की उम्र से साफ़ पता चल रहा था कि उसे फिल्मों की जानकारी कम रही होगी | नयी हीरोइनों का तो शायद नाम भी न सुना होगा | लेकिन कस्टमर को अट्रैक्ट करने के लिए तो ज्ञान दिखाना जरुरी है | साड़ी दिखाते वक्त मुस्कुराते हुए बोले ये साड़ी फलां पिक्चर में सनी लिओनी ने पहनी है | मित्र ने मुस्कुरा के पुछा दादा सनी लिओनी साड़ी भी पहनती है ?
डींगे हांकने वालों का समाज में बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है | समाज के विकास में इनका योगदान अतुलनीय है | इनके बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती | इन्हें खुद से ज्यादा समाज की चिंता रहती है | हम सभी को इन फेकुओं से सीखने की जरुरत है | इनकी तारीफ में जितना भी लिखा जाये कम है | इनके कारनामे अनगिनत हैं | यह मेरा एक छोटा सा प्रयास था डींगे हांकने वालों के लिए कुछ लिखने का | फिर भी यदि तारीफ में कुछ कमी रह गयी हो तो इसके लिये माफ़ी चाहूँगा | जब भी समय मिलेगा मैं फिर से इस विषय पर लिखने की कोशिश करूँगा तब तक के लिए डींगे हांकते रहिये , बातें रंगते रहिये , फेंकते रहिये .... डींगेंमारों तुम्हे सलाम !

Khayali Pulao By : Nitendra Verma                                                                     
Date: July 29, 2014 Tuesday


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