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Thursday, July 24, 2014

"ख़याली पुलाव" - क्योंकि समय ख़राब है

क्योंकि समय ख़राब है
      कभी कभी अचानक एक साथ कई चीजें ख़राब हो जाती हैं | समस्या एक हो तो भी ठीक है लेकिन जब उसकी संख्या एक से बढ़कर दो और फिर तीन या उससे भी ज्यादा हो जाये तो सिर पीट लेने का मन करता है | अगर ये सब उस समय हो जब आपको उन चीजों की ज्यादा ही जरुरत हो तब तो यही कह सकते हैं कि समय ही ख़राब है |
      कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ इस शनिवार(जुलाई 19, 2014) और रविवार(जुलाई 20, 2014) को | ऑफिस में स्टाफ कम होने के कारण इस वीकेंड मुझे यहीं बेहटा में रुकना पड़ा | यहाँ वीकेंड में रुकने का मतलब था मुझे अपने ब्लॉग को आगे बढ़ाने का सुनहरा मौका मिल जाना | शनिवार को मैंने शाम को ही अपना लैपटॉप ऑफिस वाले रूम में ले जाकर फुल चार्ज कर लिया था | वहां से डिनर करके अपने रूम में आने के बाद  मैंने लैपटॉप ऑन किया |  रात में खाना बनाते समय अचानक ख्याल आया कि रोटी के लिए इन्सान को क्या क्या करना पड़ता है | बस मुझे टॉपिक मिल गया था अपने ब्लॉग के लिए | तय किया आज इसी पर लिखूंगा | बस रूम में आते ही लिख मारा इस टॉपिक पे एक पेज | अब बारी थी इसे ब्लॉग में डालने की | मैंने माइक्रोमैक्स के डोंगल में एयरटेल का सिम डाल रखा है | महीने भर पहले तक एयरटेल का नेटवर्क मस्त आता था लेकिन आजकल डांवाडोल है | दस मिनट की बात में कम से कम इतने ही बार फोन कट जाता है | 198 पे कॉल कर कर के मैंने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि अब मैं 198 पे कॉल करने के बाद जैसे ही कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव से बात करने वाला होता हूँ उधर से आवाज आती है “एयरटेल में कॉल करने के लिए धन्यवाद” और फोन कट जाता है | खैर मैंने नेट ऑन किया तो बड़ी मुश्किलों के बाद तो गूगल की साईट खुली | जब मैंने अपने ब्लॉग का एड्रेस डाला तो मैसेज आया “Google Chrome couldn’t find this page” | कई बार कोशिश करने के बाद भी यही मेसेज आता रहा | मुझे पसीना आ गया ये सोचकर कि कहीं इस साईट में कोई प्रॉब्लम तो नहीं हो गयी जो मेरी इतनी मेहनत पर पानी पड़ जाये | हारकर मैंने मोज़िला ब्राउजर में इसे खोला | जिसमे साईट खुल गयी | मैंने राहत की साँस ली | मैंने जल्दी से अपने नए लिखे ब्लॉग को पोस्ट कर दिया |
      अब तक रात के 12 बज चुके थे | मैंने सोचा चलते चलते फेसबुक भी देख लिया जाये | इसमें मुझे अपने फेवरेट सिंगर कुमार शानू के नए अलबम “आमोर” के बारे में पता चला | मैंने तुरंत गूगल में सर्च मारा | अलबम तो मिला अब इसे डाउनलोड कैसे करें | काफी खोजने के बाद एक साईट मिली जिसमे इस अलबम के सारे सांग्स थे | मैंने इसका टाइटल ट्रैक डाउनलोड पे लगा दिया | करीब 4.7mb का यह सांग कछुआ रफ़्तार से डाउनलोड हो रहा था | जब यह पूरा होने ही वाला था अचानक नेट डिसकनेक्ट हो गया | मेरी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया | मैंने कई बार कनेक्ट करने की कोशिश की लेकिन तुरंत डिसकनेक्ट हो जाता था | मुझे लगा कहीं डोंगल में प्रॉब्लम तो नहीं आ गई | अब तक लैपटॉप भी की बैटरी भी अंतिम सांसे गिनने लगी थी | रात के करीब 1 बज रहे थे | मैंने लैपटॉप बंद कर सोने में ही भलाई समझी | अब तक तीन समस्यायें मेरा भेजा फ्राई कर चुकी थीं – पहली – ब्लॉग का न खुलना , दूसरा – कुमार शानू का गाना डाउनलोड न हो पाना , तीसरा - नेट बार बार डिसकनेक्ट हो जाना | मैंने लैपटॉप बंद किया और जैसे ही सोने के लिए बिस्तर में मछरदानी लगाने जा रहा था कि एक छिपकली बिस्तर पे गिर पड़ी | ये हुआ कंगाली में आटा गीला | मैंने उसे देखने की कोशिश की लेकिन वो कहीं दिखी नहीं | अब इस तरह तो बिस्तर पे नहीं सो सकते | मैंने तकिये और गद्दे के चद्दर को निकाल कर अलग किया | खुले गद्दे और चद्दर को बाहर पड़े तख़्त पर बिछाया और थोड़े तनाव में ही सही पर गहरी नींद में सो गया |
      रात में सोते जाते समय ही सोचा था कि सुबह जल्दी उठकर लैपटॉप चार्ज कर लूँगा क्योंकि सुबह लाइट रहती है और फिर डोंगल चेक करूंगा | रात में देर से सोने के बावजूद सुबह 6 बजे ही नींद खुल गयी | तुरंत उठकर लैपटॉप को चार्ज पे लगाया | डोंगल को लगा के चेक किया तो वो सही से काम कर रहा था | फ्रेश होने के बाद मैंने फिर से वही साइट ओपन कर के कुमार शानू का गाना डाउनलोड पे लगा दिया | आधे से ज्यादा डाउनलोड हो चुका था कि अचानक विंडो स्विच हो गई | जब मैंने माउस से चेंज करना चाहा तो पता चला की टचपैड काम नही कर रहा | सांग तो पूरा डाउनलोड हो गया लेकिन टचपैड ने काम नही किया | मैंने सिस्टम को बार बार रीस्टार्ट किया, सेफ मोड में ओपन किया, टचपैड की सेटिंग्स भी चेंज की यहाँ तक कि सिस्टम रिस्टोर भी करके देख लिया | लेकिन सारी कोशिशें बेकार | जब कोई चीज ख़राब होती है तो मुझे गुस्सा बहुत आता है | क्योंकि मैं चीजों को बहुत संभाल कर रखता हूँ फिर भी अगर वो ख़राब हो जाये तो गुस्सा आना लाजमी है | तो गुस्स्सा मुझे आने लगा था | मैं सोचने लगा था कि अगर ये ख़राब हो गया तो बनवाने में दो तीन महीने तो लग ही जाने हैं | मैंने आखिर में सोचा कि डेल के कस्टमर केयर में बात करके देखते हैं | 9 बजे से लेकर 10.30 तक मैंने न जाने कितनी बार फोन मिलाया लेकिन हर बार यही जवाब मिला “Right now we are closed. Our lines are opened from 9am to 6pm”| अब मैंने टचपैड के सही होने की उम्मीद छोड़ दी थी | मन बना लिया कि सिस्टम को बंद कर के चुपचाप रख दिया जाये | इसी सोच में मैंने इसे बिना स्विच ऑफ़ किये बंद कर दिया | दो मिनट बाद स्क्रीन को उठाया तो पाया कि टचपैड आश्चर्य जनक रूप से काम करने लगा है | मैं काफी देर तक अविश्वास में माउस पॉइंटर को मूव करता रहा | सिस्टम को रीस्टार्ट किया | टचपैड अब सही से काम करने लगा था | मेरी तो साँस में साँस आयी | सुबह से दिमाग में चढ़ा तनाव काफूर हो गया |
      मुझे लगा कि हो न हो डाउनलोड किये गये गाने में कोई वायरस जरुर है मैंने तुरंत उस फाइल को सिस्टम से उड़ा दिया | जिस गाने के लिए मैंने इतना टाइम खपाया उसे आखिरकार डिलीट करना पड़ा | सन्डे की शुरुआत ऐसी होगी कभी न सोचा था | शनिवार की रात से चीजें ख़राब  होने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो रविवार की दोपहर तक चला | लेकिन इसका अंत भी नाटकीय रहा | अजीब ढंग से सारी चीजें अपने आप सही भी हो गई | मैं तो यही सोचता रहा कि आखिर चीजें ख़राब थीं या फिर समय |

Khayali Pulao By : Nitendra Verma                                                                     
Date: July 20, 2014 Sunday



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